केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने SC/ST एक्ट को पुराने स्वरूप में लाने का किया फैसला, विधेयक इसी सत्र में पारित करा सकती है सरकार

नयी दिल्ली: केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों की रोकथाम) कानून के मूल प्रावधानों को बहाल करने संबंधी विधेयक के प्रस्ताव मंजूरी दी। माना जा रहा है कि सरकार इसी मॉनसून सत्र में इस संशोधन विधेयक को पेश करके फिर से एक्ट के मूल प्रावधानों को बहाल करेगी।दलित संगठनों की यह एक प्रमुख मांग है और उन्होंने इस सिलसिले में नौ अगस्त को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है।संसद का मानसून सत्र चल रहा है, एक तरफ तो असम का राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर  (एनआरसी) का मामला गरमाया हुआ है, वहीं दूसरी तरफ मोदी सरकार एक और अहम संशोधन बिल पेश करने जा रही है। लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एससी/एसटी एक्ट को लाने में हो रही देरी को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि हमारी कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है, हम संसद के इसी सत्र में इसे पास कराना चाहते हैं।कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि इस दौरान सरकार ने तमाम अध्यादेश पास कराए लेकिन दलितों और आदिवासियों के हित और उनकी रक्षा करने वाले एक्ट की मजबूती पर अध्यादेश नहीं ला सका।भाजपा के सहयोगी और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष राम विलास पासवान ने न्यायालय का आदेश पलटने के लिए एक नया कानून लाने की मांग की थी। सत्तारूढ़ पार्टी के संबंध रखने वाले कई दलित सांसदों और आदिवासी समुदायों ने भी मांग का समर्थन किया था।सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद दलित समुदाय ने दो अप्रैल को भारत बंद किया था और केंद्र सरकार का जमकर विरोध किया। देशभर में दलित आंदोलन के चलते हिंसा हुई इस दौरान एक दर्जन लोगों की मौत हो गई थी। बीजेपी सरकार को दलित विरोधी बताया जा रहा था।दलित समुदाय ने एकबार फिर केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि अगर 9 अगल्त तक एससी-एसटी एक्ट को पुराने स्वरुप मेे लाने वाला कानून नहीं बना तो  इस बार बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।सूत्रों का कहना है कि एससी/एसटी संशोधन विधेयक 2018 के जरिए मूल कानून में धारा 18- A जोड़ी जाएगी। जिसके तहत पुराने कानून को बहाल कर दिया जाएगा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला रद्द कर दिया जाएगा।

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